
10.कल्कि अवतार: अधर्म के अंत का महायोद्धा
कल्कि अवतार: अधर्म के अंत का महायोद्धा जब धरती अधर्म, अन्याय और पापों से भर जाएगी, जब सत्य का स्वर दब जाएगा, और जब धर्…
फेब्रुवारी २५, २०२५कल्कि अवतार: अधर्म के अंत का महायोद्धा जब धरती अधर्म, अन्याय और पापों से भर जाएगी, जब सत्य का स्वर दब जाएगा, और जब धर्…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५भगवान बुद्ध: ज्ञान और अहिंसा के प्रकाशपुंज सत्य और ज्ञान की खोज में अनेकों आत्माएँ भटकी हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे महान आत्…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५भगवान कृष्ण: प्रेम, नीति और धर्म के अवतार द्वापर युग में जब धरती पाप और अधर्म से बोझिल हो चुकी थी, तब भगवान विष्णु ने …
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५राजा राम: मर्यादा पुरुषोत्तम की अमर गाथा अयोध्या के सम्राट दशरथ के महल में एक ऐसे पुत्र का जन्म हुआ, जो केवल एक राजकुम…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५भगवान परशुराम: ब्राह्मण और क्षत्रिय का संगम भगवान परशुराम हिंदू धर्म में विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उनका व्यक्…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५भजन करी महादेव ।राम पूजी सदाशिव ॥१॥ दोघे देव एक पाहीं ।तयां ऐक्य दुजें नाहीं ॥२॥ शिवा रामा नाहीं भेद ।ऐसे देव तेही सिद्…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५श्री हनुमान चालीसा दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चार॥ बुद्धिहीन तनु ज…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५वाळो जन मज म्हणोत शिंदळी । परि हा वनमाळी न विसंबें ॥१॥ सांडूनि लौकिक जालियें उदास । नाहीं भय आस जीवित्वाची ॥२॥ नाइकें व…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५गरुडाचें वारिकें कासे पीतांबर । सांवळें मनोहर कैं देखेन ॥१॥ बरवया बरवंटा घनमेघ सांवळा । वैजयंतीमाळा गळां शोभे ॥ध्रु.॥ …
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५कर कटावरी तुळसीच्या माळा । ऐसें रूप डोळां दावीं हरी ॥१॥ ठेविले चरण दोन्ही विटेवरी । ऐसें रूप हरी दावीं डोळां ॥ध्रु.॥ कट…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २५, २०२५राजस सुकुमार मदनाचा पुतळा । रविशशिकळा लोपलिया ॥१॥ कस्तुरीमळवट चंदनाची उटी । रुळे माळ कंठीं वैजयंती ॥ध्रु.॥ मुगुट कुंडले…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २३, २०२५समचरणदृष्टि विटेवरी साजिरी । तेथें माझी हरी वृत्ति राहो ॥१॥ आणीक न लगे मायिक पदार्थ । तेथें माझें आर्त्त नको देवा ॥ध्रु…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २३, २०२५संसारसागर भरला दुस्तर । विवेकी पोहणार विरला अंत ॥१॥ कामाचिया लाटा अंगीं आदळती । नेणों गेले किती पाहोनियां ॥२॥ भ्रम हा भ…
Ravindra Todkar फेब्रुवारी २३, २०२५