विष्णुमूर्ती चतुर्भुज शंख चक्र हातीं |
गदा पद्म वनमाळा शोभती ||1||
गाई गोपाळ सवंगडे वनां |
घेऊनियां जाय खेळे नंदाचा कान्हा ||धृ||
विटी दांडू चेंडू लगोरी नानापरी |
खेळ मांडीयेला यमुनेचे तीरी ||2||
एका जनार्दनीं पहातां तन्मय |
वेधलें वो मन वृत्तिसहित माय ||4||